
छत्तीसगढ़:- आधुनिकता ने एक ओर जहां विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं , वहीं हमारी प्राचीन परंपरा ,संस्कृति और लोक कलाओं को नष्ट करने की ओर अग्रसर है । आधुनिकता के कारण हम अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। आज के समय की अगर पांच दशक पूर्व से तुलना की जाए तो हमें जमीन आसमान का अंतर स्पष्ट दिखाई देगा।
पहले हमारी संस्कृति में हर अवसर के लोकगीत और वाद्ययंत्र हुआ करते थे। जन्म से लेकर मरण तक, खेती से लेकर नवाखाई,होली से लेकर भोजली तक की अपनी लोक कला समृद्ध रही है।परंतु आज न तो ये गीत बचे हैं न वाद्ययंत्र।वैवाहिक अवसरों के गीत संगीत को डीजे ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है, जिसमें न हमारी संस्कृति दिखती है ना ही संस्कार। ऐसे कठिन समय में इसे बचाकर रखना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसी विषय पर अपने बहुमूल्य विचार को व्यक्त करने हेतु लोक कलाकारों के साथ एक परिचयात्मक बैठक का आयोजन श्री गजानन साईं मंदिर,
महाराणा प्रताप चौक,बुधवारी बाजार 3 जुलाई 2022 रविवार को प्रातः 10 बजे तथा सर्वमंगला कन्या छात्रावास एचटीपीएस दर्री में 03 बजे आहूत की गई है । इस बैठक में संस्कार भारती के प्रांतीय लोक कला विधा प्रमुख *श्री रिखी राम क्षत्रिय जी** तथा *प्रांतीय मंत्री डाॅ पुरषोत्तम चंद्राकर जी,लोक कला साधक* विशेषज्ञ के रूप उपस्थित रहेंगे।

श्री रिखी राम क्षत्रिय जी लोक कला मर्मज्ञ हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के कोने -कोने लुप्त छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों खोजकर 175 प्रकार के विभिन्न वाद्य यंत्रों का संकलन किया है। साथ साथ प्रतिवर्ष अपने निवास वाद्य यंत्र निर्माण कार्यशाला का आयोजन करते हैं। छत्तीसगढ़ संस्कृति मंत्रालय की ओर से नवंबर माह में इन्हें अमेरिका के चार राज्यों में छत्तीसगढ़ की लोककला के प्रदर्शन का सुअवसर प्राप्त हुआ है। छत्तीसगढ़िया होने के नाते ये हमारे लिए , हमारे देश के लिए गौरव का विषय है।
डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर छत्तीसगढ़ी रंगमंच के उत्कृष्ट कलाकार हैं तथा राज्यपाल महोदय तथा पृथ्वी थियेटर मुंबई से सम्मानित हैं।
इस विषय पर विमर्श के लिए विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहेंगे। कोरबा जिले के समस्त लोक कला साधक बैठक में अपना अमूल्य समय देकर लुप्त हो रही लोक कला संस्कृति पर विचार और मार्गदर्शन साझा करने के लिए सादर आमंत्रित हैं।